अध्याय 150

कोबान का दृष्टिकोण

सुबह ऐसे आई जैसे किसी ने सिर पर मुक्का मारा हो।

तेज़ नहीं... बल्कि धीमी, भारी धड़कन मेरी आँखों के पीछे, जो मुझे याद दिला रही थी कि मैंने कल लियो से अपनी नाक तुड़वाने की गुजारिश की थी!

एक पल के लिए, मुझे समझ नहीं आया कि मैं कहाँ हूँ...

शॉवर चल रहा था।

दरवाजे के नीचे से भाप...

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