अध्याय 92

मार्गोट का दृष्टिकोण

आवाज़ ने मुझे नींद से खींच लिया, इससे पहले कि मैं तैयार थी।

एक धीमी फुसफुसाहट।

पहले तो लगभग न के बराबर, लेकिन इतना था कि मेरे कानों में चुभने लगा और मुझे उस अधूरे सपने से बाहर खींच लिया जिसमें मैं तैर रही थी...

मैंने अंधेरे में पलकें झपकाईं, भ्रम ने मुझे धुंध की तरह घेर...

लॉगिन करें और पढ़ना जारी रखें