अध्याय 71

अलोरा का दृष्टिकोण

पक्षियों की खुशी भरी चहचहाहट ने मुझे जगाया। खुली बालकनी के दरवाजे से आती वसंत की खुशबू। मैं इतनी आरामदायक थी कि हिलना नहीं चाहती थी। मुझे एहसास होने में एक पल लगा कि मैं इतनी गरम और आरामदायक क्यों थी। उसकी सांसों का ऊपर-नीचे होना मुझे लोरी की तरह सुला रहा था। मेरा गाल उसके कंध...

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