बासठ

मैं भागती रही, अपनी जिंदगी के इस बुरे सपने से दूर जाने की जल्दी में लोगों से टकराती रही, और तभी रुकी जब मैं इस जगह के दरवाजों पर पर्सी से टकराई।

पर्सी ने अपनी नुकीली दांतों से चबाते हुए अपने होंठों से लाल लिकोरिस की पट्टी को खींचा। वह पट्टी को अपने मुंह से निकालते हुए चौंक गया।

"इमोजेन, क्या हुआ?"

"...

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