अध्याय 8 क्या मैंने आपको चोट पहुंचाई?

वह और ज़ोर से आगे बढ़ा, अपनी जलती हुई, धड़कती मर्दानगी को बार-बार उसके नाज़ुक स्थान में डालते हुए, जिससे वह सुख और दर्द के मिश्रण में चीख पड़ी। उसका पतला शरीर झटका खाता रहा, लेकिन उसकी तंग जगह अब इतनी बार ठोके जाने के बाद उसे सहन करने लगी थी।

लेकिन संवेदनाएँ कम नहीं हुईं; वह पागल कर देने वाला, अवर्...

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