32 — हाय, डैड।

"हाय, पापा," मैं कहती हूँ, कमरे से बाहर निकलते हुए, फोन को कान से चिपकाए हुए, "क्या आप एक सेकंड रुक सकते हैं, मैं किचन में हूँ..."

"कुछ हुआ क्या?" वे चिंतित होकर पूछते हैं। यह अविश्वसनीय है कि वे मेरी आवाज़ के स्वर से ही पहचान लेते हैं कि मैं किस भाव में हूँ। यह जानकर मेरे दिल में गर्माहट आ जाती है ...

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